लोकतांत्रिक और संसदीय विचारों के प्रतीक : राम
लोकतांत्रिक और संसदीय विचारों के प्रतीक : राम प्रो. एस.वी.एस.एस.नारायण राजू साहित्य और समकालीन चिंतन, 2017 ISBN no. 978-81-7965-282-4 “ संशय की एक रात ” काव्य के केन्द्रीय पात्र “ राम ” है. राम का मानसिक संकट मूलत : उत्तरदायित्व का संकट है । इस काव्य के राम तो मात्र अपनी विडम्बनापूर्ण स्थिति पर सोचते – विचारते हैं, लेकिन धीरे-धीरे इस तथ्य से पाठक अवगत होने लगता है कि राम की अपनी विडम्बना युग-जीवन की विडम्बना का स्वरूप ग्रहण कर चुकी है. इसमें कवि ने पुराण कथा के मूल-स्वरूप को क्षति पहुँचाए बिना उसे युग-संदर्भ प्रदान कर दिया है. इस काव्य के राम मानव की सहज मानवता में विश्वास रखते हैं और उनकी आस्था है कि मानव को मानव से सहज मानवीय आधार पर ही सत्य की उपलब्धि हो, युद्ध आदि हिंसात्मक साधनों से नहीं. “ संशय की एक रात ” काव्य के राम के मन में प्रश्न उठता है कि, क्या सारे शुभाशुभ कर्मों की परिणति युद्ध ही है ? व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए लोक चिंतक राम लोक की अवहेलना नहीं कर सकते. ...