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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 54, UGC NET HINDI | नर सहस्र महँ सुनहु पु...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 53, UGC NET HINDI | राम चरित जे सुनत अघाह...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 52, UGC NET HINDI | गिरिजा सुनहु बिसद यह ...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 51, UGC NET HINDI | मामवलोकय पंकज लोचन। क...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 60 | तात कुसल कहु सुखनिधान की। सहित अनु...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 59 | परेउ मुरुछि महि लागत सायक। सुमिरत ...
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Saket, Navam Sarg 135, UGC NET HINDI | निचोड़ पृथ्वी पर वृष्टि-पानी, सुख...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 58 | कपि तव दरस भइउँ निष्पापा। मिटा तात...
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"पारिवारिक संघर्ष की कहानी : माफिया"
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" पारिवारिक संघर्ष की कहानी : माफिया" आचार्य.एस.वी.एस.एस.नारायण राजू Sravanti. Monthly September- October 2024 ISSN 2582-0885 गिरीश पंकज द्वारा लिखा गया उपन्यास माफिया एक व्यंग्य उपन्यास होते हुए भी समाज की सच्चाई को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है. इस उपन्यास का प्रमुख कथ्य बहुमुखी साहित्य माफिया है , जो साहित्यिक जगत में व्याप्त भ्रष्टाचार और स्वार्थी प्रवृत्तियों को उजागर करता है. लेखक ने व्यंग्य के माध्यम से न केवल समाज में फैली विकृतियों पर प्रहार किया है , बल्कि एक आदर्शवादी साहित्यकार की आंतरिक मनोव्यथा , उसकी आकांक्षाएँ , उपेक्षाएँ और उसके टूटते हुए सपनों को भी जीवंत रूप से उकेरा है. उपन्यास के मुख्य पात्र ज्ञानेन्द्र , जो एक साहित्यकार हैं , उनके घर की दुर्दशा के माध्यम से लेखक ने यह दिखाया है कि किस प्रकार आदर्शवादी साहित्यकार , जो समाज को सुधारने का प्रयास करता है , स्वयं समाज की उपेक्षा का शिकार हो जाता है. ज्ञानेन्द्र की परिस्थितियाँ उस साहित्यिक माफिया के विरुद्ध उनकी संघर्षशीलता और अंततः उनके सपनों के टूटने की करुण कहानी बयां कर
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 57 | अस कहि चला रचिसि मग माया। सर मंदिर...
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Saket, Navam Sarg 121, UGC NET HINDI | न जा उधर हे सखी, वह शिखी सुखी हो,...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 56 | राम चरन सरसिज उर राखी। चला प्रभंजन...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 55 | सुनु गिरिजा क्रोधानल जासू। जारइ भु...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 54 | घायल बीर बिराजहिं कैसे। कुसुमित कि...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 53 | छतज नयन उर बाहु बिसाला। हिमगिरि नि...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 52 | नभ चढ़ि बरष बिपुल अंगारा। महि ते प...
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Lanka kand 51, Sri Ram Charit Manas | देखि पवनसुत कटक बिहाला। क्रोधवंत ज...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 60 | बन हित कोल किरात किसोरी। रचीं बिरं...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 59 | मैं पुनि पुत्रबधू प्रिय पाई। रूप र...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 58 | दीन्हि असीस सासु मृदु बानी। अति सु...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 57 | देव पितर सब तुम्हहि गोसाईं। राखहुँ...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 56 | जौं केवल पितु आयसु ताता । तौ जनि ज...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 55 | राखि न सकइ न कहि सक जाहू। दुहूँ भा...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 54 | बचन बिनीत मधुर रघुबर के। सर सम लगे...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 53 | तात जाउँ बलि बेगि नहाहू। जो मन भाव...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 52 | रघुकुल तिलक जोरि दोउ हाथा। मुदित म...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 51 | उतरु न देइ दुसह रिस रूखी। मृगिन्ह ...
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National Education policy 2020 and Hindi | राष्ट्रीय शिक्षा नाति 2020 - ...
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राजभाषा हिंदी और वर्तनी
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राजभाषा हिंदी और वर्तनी आचार्य. एस.वी.एस.एस.नारायण राजू उत्कर्ष जून 2024 छमाही ई - पत्रिका राजभाषा अनुभाग तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय भारत सरकार की राजभाषा नीति के अनुपालन के प्रति अधिकारियों/कर्मचारियों में जागरूकता लाने तथा अभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम के रूप में राजभाषा हिन्दी को प्रतिष्ठित करने के प्रयास में विभिन्न क्षेत्रों में समय-समय पर उत्पन्न समस्याओं का सामना करने तथा उनके सफल समाधान खोजने की प्रक्रिया से अनिवार्यतः गुजरना पड़ता है। राजभाषा नीति संबंध प्रमुख निर्देशों से स्पष्टतः अवगत होकर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों व अधिकारियों की भाषिक क्षमता , राजभाषा के रूप में हिन्दी में प्रयुक्त शब्दों की राष्ट्रीय ग्राह्यता और अन्य विदेशी व स्थानीय भाषाओं में प्रयुक्त शब्दों के सरल एवं व्यावहारिक प्रयोग को दृष्टि में रखकर राजाभाषा के रूप में हिन्दी के स्वरूप को निर्धारित करने तथा उसे जन-जन तक आसानी से पहुँचाने में कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। देश वासियों की भाषिक व सांस्कृतिक भिन्नता के बावजूद आम सहमति से हमें राजभाषा के रूप में हिन्दी के मानक स्वरूप को स्वीक