श्यामसिंह शशि कृत अग्नि सागर : एक अवलोकन
श्यामसिंह शशि कृत अग्नि सागर : एक अवलोकन डॉ.एस.वी.एस.एस. नारायण राजू स्रवंति फरवरी 2005 अग्नि सागर का प्रकाशन 1989 में हुआ | इसमें मनु कथा को कवि श्यामसिंह शशि जी ने एक नया ढंग से प्रस्तुत किया है | आम तौर पर आज मनु शब्द प्रयोग करने के लिए भी डर रहे हैं क्योंकि अगर कोई किसी सभा या मित्र मंडली के बीच में मनु के बारे में या मनु का समर्थन करते हुए बात करने से तुरंत उस पर मनुवादी मुद्रा डाल रहे हैं । आज परिस्थिति इतनी गंभीर रूप धारण किया कि मनु नाम उच्चरण करना भी वर्जित हो गया है | अगर डटकर कहें तो उस पर कट्टरवादी ठप्पा पड़ता है। अग्नि सागर बिल्कुल विशिष्ट कृति है । इसके बारे में गिरिजा कुमार माथुर ने लिखा है कि- “कवि ने नए रुप में मनु गाथा को इस काव्य में प्रस्तुत किया है | उनका यह काव्य प्रसाद जी की ‘कामायनी’ से एक अलग जमीन तलाशता है । प्रसाद जी के मनु जलप्लावन के बाद पृथ्वी पर पुनः जीवन रचना करने वाला आदि पुरुष हैं | वह समाज को एक नई व्यवस्था और विधान देते हैं । वह सिर्फ जलप्लावन के बा