किन्नर समुदाय के अनछुए तथ्यों का सफल अंकन ‘मैं हिजड़ा...मैं लक्ष्मी’
किन्नर समुदाय के अनछुए तथ्यों का सफल अंकन ‘ मैं हिजड़ा...मैं लक्ष्मी ’ प्रो. एस.वी.एस.एस. नारायण राजू पुस्तक भारती रिसर्च जर्नल, ISSN No. 2562-6086 Pustak Bharati, Toronto, Canada, A Peer Reviewed Journal, त्रैमासिक शोध पत्रिका, वर्ष – 4, अंक - 3 जुलाई – सितंबर, 2022. यह सर्व विदित सत्य है कि तथाकथित सभ्य समाज में तृतीयपंथी व तृतीय लिंगी समुदाय को हाशियागत किया गया. जिसके कारण यह समुदाय शिक्षा,रोजगार, समाज, परिवार,रिश्ते-नाते,संस्कृति और सभ्यता से वंचित रहा. किन्नर समुदाय के अधिकांश बच्चों को जन्म से किसी न किसी किन्नर गुरु के हाथ सौंप दिया जाता है. परंतु उन सभी में से लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की भी कहानी कुछ ऐसी ही है. वह अपनी आत्मकथा की आरम्भिक पंक्तियों में लिखती है कि- “ ठाणे में मेरा घर है, येऊर की तलहटी के पास. घर की खिड़की से येऊर पर्वत को बिल्कुल बाँहों में भर सकते हैं, इतना नजदीक दिखाई देता है. मेरे घर की खिड़की और पर्वत, इनके बीच में एक छोटा-सा टीला है. हरी आस ओढ़े हुए. गाय-बखेरू हमेशा चरते हैं उस पर, हमेशा चहल-पह...