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Showing posts from April, 2024
Lanka kand 48, Sri Ram Charit Manas | निसा जानि कपि चारिउ अनी। आए जहाँ क...
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Padmavath, Simhal dweep Khand 04 | तहाँ देखु पदमावति रामा । भौंर न जाइ, ...
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Lanka kand 47, Sri Ram Charit Manas | सकल मरमु रघुनायक जाना। लिए बोलि अं...
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Padmavath, Simhal dweep Khand 03 | सो गढ़ देख गगन तें ऊँचा। नैनन्ह देखा, ...
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Lanka kand 46, Sri Ram Charit Manas | प्रभु पद कमल सीस तिन्ह नाए । देखि ...
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Padmavath, Simhal dweep Khand 02 | तू राजा जस बिकरम आदी । तू हरिचंद बैन ...
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Lanka kand 45, Sri Ram Charit Manas | महा महा मुखिआ जे पावहिं । ते पद गह...
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Padmavath, Simhal dweep Khand 01 | पूछा राजै कहु गुर सूआ । न जनौं आजु कह...
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Lanka kand 44, Sri Ram Charit Manas | जुद्ध बिरुद्ध क्रुद्ध द्वौ बंदर। र...
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Sri Rama Raksha Stotram, 26 | रामं लक्ष्मण पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्द...
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Lanka kand 43, Sri Ram Charit Manas | भय आतुर कपि भागन लागे। जद्यपि उमा ...
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“चुप नहीं हैं ईश्वर” में सामाजिक यथार्थ
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“ चुप नहीं हैं ईश्वर ” में सामाजिक यथार्थ अचार्य. एस.वी.एस.एस. नारायण राजू साहित्य सृजन की समकालीनता (ईश्वर करुण अभिनंदन ग्रंथ) ISBN No. 978-81-7965-343-2 तक्षशिला प्रकाशन, नई दिल्ली. प्रकाशन वर्ष : 2022 चुप नहीं हैं ईश्वर में कवि अपने कविता द्वारा सामाजिक परिवेश में स्थित विषमता को व्यक्त करने की कोशिश करते है. आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या बन गयी है । जिसकी जड़े कई देशों में फैलती आ रही है. आतंकवादियों को क्रांतिकारी कहलाना गलत होगा , क्योंकि ये आतंकवादी समस्याओं के समाधान करने के बजाय उनका फायदा उठाते हैं और समाज में दहशत फैलाने के लिए मक्सद की तलाश करते हैं, यथा " आतंकवादियों का जनहित में कोई कारण नहीं होता है. अल - खायदा कोई प्रादेशिक स्वाधीनता के नाम पर आतंक फैलाते है , नक्सलवादी तो कोई इन आतंकवादी हमलों का फायदा उठाते हुए किसी धार्मिक समुदाय पर आतंक फैलाते हैं , इन के मनसूबे कुछ भी हो पर उसका नुक्सान सिर्फ सामान्य औरत बच्चे और पुरूषों को ही होता है और समाज में दहशत फैलाता हैं." (1) ' बेनजीर ' नामक कविता में ईश्वर करुण कहते हैं कि...
Sri Rama Raksha Stotram, 25 | रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् । ...
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Lanka kand 42, Sri Ram Charit Manas | राम प्रताप प्रबल कपि जूथा। मर्दहिं...
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Sri Rama Raksha Stotram, 20, 21 | आत्त सज्ज धनुषाविषुस्पृशा-वक्षयाशुग नि...
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Lanka kand 41, Sri Ram Charit Manas | कोट कँगूरन्हि सोहहिं कैसे। मेरु के...
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Sri Rama Raksha Stotram, 16 | आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् । अभि...
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Sri Rama Raksha Stotram, 15 | आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः । ...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 50 | अस बिचारि उर छाड़हु कोहू । सोक कलं...
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Sri Rama Raksha Stotram, 13,14 | जगज्जैत्रैक मन्त्रेण रामनाम्नाभि रक्षित...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 49 | एक बिधातहि दूषनु देहीं। सुधा देखाइ...
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Sri Rama Raksha Stotram, 12 | रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्। ...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 48 | का सुनाइ विधि काह सुनावा। का देखाइ...
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Sri Rama Raksha Stotram, 11 | पाताल भूतल व्योम चारिणश्छद्म चारिणः न द्रष...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 47 | मिलेहि माझ बिधि बात बेगारी । जहँ त...
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Sri Rama Raksha Stotram, 9,10 | जानुनी सेतु कृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तकः ।...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 46 | धन्य जनमु जगतीतल तासू । पितहि प्रम...
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Sri Rama Raksha Stotram, 7,8 | करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित् । म...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 45 | अजसु होउ जग सुजसु नसाऊ। नरक परौं ब...
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Sri Rama Raksha Stotram, 5,6 | कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्र प्रियः श्...
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