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Showing posts from October, 2024
Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 59 | मैं पुनि पुत्रबधू प्रिय पाई। रूप र...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 58 | दीन्हि असीस सासु मृदु बानी। अति सु...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 57 | देव पितर सब तुम्हहि गोसाईं। राखहुँ...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 56 | जौं केवल पितु आयसु ताता । तौ जनि ज...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 55 | राखि न सकइ न कहि सक जाहू। दुहूँ भा...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 54 | बचन बिनीत मधुर रघुबर के। सर सम लगे...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 53 | तात जाउँ बलि बेगि नहाहू। जो मन भाव...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 52 | रघुकुल तिलक जोरि दोउ हाथा। मुदित म...
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Sri Ramcharitmanas, Ayodhya kand 51 | उतरु न देइ दुसह रिस रूखी। मृगिन्ह ...
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National Education policy 2020 and Hindi | राष्ट्रीय शिक्षा नाति 2020 - ...
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राजभाषा हिंदी और वर्तनी
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राजभाषा हिंदी और वर्तनी आचार्य. एस.वी.एस.एस.नारायण राजू उत्कर्ष जून 2024 छमाही ई - पत्रिका राजभाषा अनुभाग तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय भारत सरकार की राजभाषा नीति के अनुपालन के प्रति अधिकारियों/कर्मचारियों में जागरूकता लाने तथा अभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम के रूप में राजभाषा हिन्दी को प्रतिष्ठित करने के प्रयास में विभिन्न क्षेत्रों में समय-समय पर उत्पन्न समस्याओं का सामना करने तथा उनके सफल समाधान खोजने की प्रक्रिया से अनिवार्यतः गुजरना पड़ता है। राजभाषा नीति संबंध प्रमुख निर्देशों से स्पष्टतः अवगत होकर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों व अधिकारियों की भाषिक क्षमता , राजभाषा के रूप में हिन्दी में प्रयुक्त शब्दों की राष्ट्रीय ग्राह्यता और अन्य विदेशी व स्थानीय भाषाओं में प्रयुक्त शब्दों के सरल एवं व्यावहारिक प्रयोग को दृष्टि में रखकर राजाभाषा के रूप में हिन्दी के स्वरूप को निर्धारित करने तथा उसे जन-जन तक आसानी से पहुँचाने में कई समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। देश वासियों की भाषिक व सांस्कृतिक भिन्नता के बावजूद आम सहमति से हमें राजभाषा के रूप में हिन्दी के मानक स्वरूप को स...