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Showing posts from November, 2024
Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 59, UGC NET HINDI | नाना भाँति मनहि समुझा...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 58, UGC NET HINDI | गिरिजा कहेउँ सो सब इत...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 57, UGC NET HINDI | तेहिं गिरि रुचिर बसइ ...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 56, UGC NET HINDI | मैं जिमि कथा सुनी भव ...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 55, UGC NET HINDI | यह प्रभु चरित पवित्र ...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 54, UGC NET HINDI | नर सहस्र महँ सुनहु पु...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 53, UGC NET HINDI | राम चरित जे सुनत अघाह...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 52, UGC NET HINDI | गिरिजा सुनहु बिसद यह ...
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Sri Ramcharitmanas, Uttar kand 51, UGC NET HINDI | मामवलोकय पंकज लोचन। क...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 60 | तात कुसल कहु सुखनिधान की। सहित अनु...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 59 | परेउ मुरुछि महि लागत सायक। सुमिरत ...
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Saket, Navam Sarg 135, UGC NET HINDI | निचोड़ पृथ्वी पर वृष्टि-पानी, सुख...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 58 | कपि तव दरस भइउँ निष्पापा। मिटा तात...
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"पारिवारिक संघर्ष की कहानी : माफिया"
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" पारिवारिक संघर्ष की कहानी : माफिया" आचार्य.एस.वी.एस.एस.नारायण राजू Sravanti. Monthly September- October 2024 ISSN 2582-0885 गिरीश पंकज द्वारा लिखा गया उपन्यास माफिया एक व्यंग्य उपन्यास होते हुए भी समाज की सच्चाई को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है. इस उपन्यास का प्रमुख कथ्य बहुमुखी साहित्य माफिया है , जो साहित्यिक जगत में व्याप्त भ्रष्टाचार और स्वार्थी प्रवृत्तियों को उजागर करता है. लेखक ने व्यंग्य के माध्यम से न केवल समाज में फैली विकृतियों पर प्रहार किया है , बल्कि एक आदर्शवादी साहित्यकार की आंतरिक मनोव्यथा , उसकी आकांक्षाएँ , उपेक्षाएँ और उसके टूटते हुए सपनों को भी जीवंत रूप से उकेरा है. उपन्यास के मुख्य पात्र ज्ञानेन्द्र , जो एक साहित्यकार हैं , उनके घर की दुर्दशा के माध्यम से लेखक ने यह दिखाया है कि किस प्रकार आदर्शवादी साहित्यकार , जो समाज को सुधारने का प्रयास करता है , स्वयं समाज की उपेक्षा का शिकार हो जाता है. ज्ञानेन्द्र की परिस्थितियाँ उस साहित्यिक माफिया के विरुद्ध उनकी संघर्षशीलता और अंत...
Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 57 | अस कहि चला रचिसि मग माया। सर मंदिर...
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Saket, Navam Sarg 121, UGC NET HINDI | न जा उधर हे सखी, वह शिखी सुखी हो,...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 56 | राम चरन सरसिज उर राखी। चला प्रभंजन...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 55 | सुनु गिरिजा क्रोधानल जासू। जारइ भु...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 54 | घायल बीर बिराजहिं कैसे। कुसुमित कि...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 53 | छतज नयन उर बाहु बिसाला। हिमगिरि नि...
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Sri Ram Charit Manas, Lanka kand 52 | नभ चढ़ि बरष बिपुल अंगारा। महि ते प...
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Lanka kand 51, Sri Ram Charit Manas | देखि पवनसुत कटक बिहाला। क्रोधवंत ज...
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