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Showing posts from March, 2025

आर्य संस्कृति के उध्दारक श्री राम

  आर्य संस्कृति के उध्दारक श्री राम आचार्य.एस.वी.एस.एस.नारायण राजू ANUKARSH ISSN no. 2583-2948( Online) Volume No. 4 , Issue No. 3 & 4 , July- December 2024. वीरेन्द्र सारंग द्वारा रचित उपन्यास "वज्रांगी" में राम को एक महानायक और आर्य संस्कृति के सशक्त पक्षधर के रूप में प्रस्तुत किया गया है . इस उपन्यास में ऋषियों ने राम को एक मानक के रूप में स्थापित किया है और उनके माध्यम से ऐसे अनेक कार्य कराए जाते हैं जो केवल आर्य समाज के हित में होते हैं . राम की इस छवि को उपन्यास में गहराई से चित्रित किया गया है , जहाँ वह न केवल एक योद्धा हैं बल्कि एक ऐसे आदर्श पुरुष हैं जो अपने नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए जाने जाते हैं . राम का हर कार्य और निर्णय आर्य संस्कृति को संरक्षित और समृद्ध करने के उद्देश्य से प्रेरित होता है . इस प्रकार , " वज्रांगी" उपन्यास न केवल एक कथा है बल्कि आर्य संस्कृति के महानायक राम के माध्यम से भारतीय सभ्यता और उसकी धरोहरों को उजागर करने का एक प्रयास भी है , जैसे विश्वामित्र कहते हैं कि - "राम तुम्हें यहाँ भी स्थापित होना पड़...

Revitalizing Heritage: Dr. Shanti’s Tamil Translation of “Janaki Mangal” as a Bridge to India’s Cultural Legacy.

  Revitalizing Heritage:  Dr. Shanti’s Tamil Translation of “Janaki Mangal” as a Bridge to India’s Cultural Legacy.                                         Prof. S V S S Narayana Raju Janaki Mangal Tamil Translation of Janaki Mangal Written by Sant Goswami Tulasidas. Translator: Dr. Shanti |Viswanathan. December 2024.            Janaki Mangal by Saint Goswami Tulsidas is a poetic masterpiece that encapsulates the sacred and joyous wedding of Goddess Sita (Adi-Shakti Bhagwati Janaki) and Lord Ram (Purushottam Bhagwan Shri Ram). Through his sweet and melodious verses, Tulsidas brings to life the blissful moments surrounding this divine union, filling the hearts of readers with devotion and delight.           The narrative begins with the preparations for the grand swayamvar in the ki...

राजाओं और साधारण जनता की स्वार्थपरता का यथार्थ अंकन : भीष्म साहनी कृत ‘माधवी’

  राजाओं और साधारण जनता की स्वार्थपरता का यथार्थ अंकन : भीष्म साहनी कृत ‘ माधवी ’ आचार्य.एस.वी.एस.एस. नारायण राजू विश्व भारती पत्रिका,  ISSN 2348-4977, July - September 2024, Hindi Bhavan, Shantiniketan, West Bengal. माधवी की कथा महाभारत से ली गई है और इसमें कई महत्वपूर्ण पात्र और घटनाएँ शामिल हैं. कथा की मुख्य वस्तु यह है कि गालव एक मुनिकुमार है , जो अपनी शिक्षा गुरु विश्वामित्र के यहाँ पूरी करता है. शिक्षा समाप्त होने के बाद , गुरु दक्षिणा के रूप में गुरु विश्वामित्र गालव से आठ सौ अश्वमेध यज्ञ के घोड़े मांगते हैं. इस कठिन कार्य को पूरा करने के लिए गालव विभिन्न राजाओं के पास जाता है. गालव की यात्रा उसे दानवीर राजा ययाति के द्वार पर ले जाती है. ययाति प्रसिद्ध दानी है , लेकिन उसके दान के पीछे भी एक स्वार्थपरायणता छिपी होती है. ययाति का लक्ष्य यश प्राप्त करना और स्वर्ग की कामना होती है. अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए , ययाति अपनी एकमात्र पुत्री माधवी को गालव को दान में देने का निर्णय लेता है. ययाति का विश्वास है कि माधवी एक लक्षणयुक्त नारी है और ज्योतिषियों की भविष्यवाणी के अ...