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संस्कृति : एक परिचय

संस्कृति : एक परिचय                                                  प्रो. एस . वी . एस . एस . नारायण राजू स्रवंति , मई   2005     संस्कृति का कोशार्थ   इस प्रकार है – पूरा करना , शुध्दि , सुधार , परिष्कार , निर्माण , पवित्रीकरण , सजावट , निश्चय , उद्योग , आचरणगत परंपरा , सभ्यता का वह स्वरुप जो आध्यात्मिक एवं मानसिक वैशिष्ट्य का द्योतक होता है ; 24 ( चौबीस ) अक्षरों के वर्णवृत्त। (1) संस्कृति शब्द का प्रयोग दो अर्थों में होता है। एक विस्तृत और एक सीमित अर्थ में होता है। विस्तृत अर्थ में संस्कृति शब्द का प्रयोग नर विज्ञान में किया जाता है। ‘ नर विज्ञान ’ के अनुसार संस्कृति सीखे हुए व्यवहार अथवा सामाजिक परंपरा से प्राप्त होता है। संस्कृति को सामाजिक प्रथा ( custom) का पर्याय भी कहा जाता है।   संस्कृति शब्द का अर्थ शुध्द , सफाई , संस्कार , सुधार , मानसिक विकास सजावट , सभ्यता आदि है। (2) ऐतरेय ब्राह्मणों में संस्कृति का संबंध मानव के व्यक्तिगत और सामाजिक उन्नयन से माना है। संस्कृति वह शक्ति है जो इस उन्नयन की साधन की सिध्द करती है। (