फिर जनम लेंगे हम, नसीमा
फिर जनम लेंगे हम , नसीमा दक्षिण समाचार , 23 दिसंबर 1998 तेलुगु मूल : पाटिबंडला रजनी हिंदी अनुवाद : प्रो. एस.वी.एस.एस. नारायण राजू मानवहार बनी थीं हम डालकर गलबहियाँ एक लय से एक कदम से मनुष्य और मनुष्य के हाथों में हाथ आने पर , मन से मन मिलाकर मिट्टी के सने परिमल से खुश हुई थीं। अचरच हुआ था जानकर हमारे जन्म से पूर्व औलाद की आस में जाने कितनी बार तुम्हारी माँ ने मंदिर के पीपल पर झूले बाँधे और पीर के जलूस में आँचल पसारा था मेरी माँ ने लेकिन नहीं किया था कुतर्क। मेरी खातिर तुम्हारे मजहब का मतलब बीमारी के वक्त बाँधे गये मस्जिद के पवित्र ताबीज तुम्हारी खातिर मेरे धर्म का अर्थ मेरे साथ छोडी हुई झिलमिल झिलमिल फुलझड़ियाँ। याद है नसीमा कितनी पसंद है मुझे तुम्हारी माँग में चमकती हुई चमकी और कितने पसंद है तुम्हें मेरी रंग-बिरंगी बिंदी तुम्हारी दो बानी-बेली की तरह नारियल और शक्कर मिला के खाते हुए मीलों दूर चले जाते