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“ठण्डा लोहा” में अभिव्यक्त मानव-मूल्य

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“ ठण्डा लोहा ” में अभिव्यक्त मानव-मूल्य प्रो.एस.वी.एस.एस. नारायण राजू योग्यता अंतर्राष्ट्रीय त्रैमासिक पत्रिका International Referred Research Journal ISSN 2348-4225 Special Edition January – March 2019. मानव-मूल्यों को नयी कविता में पर्याप्त महत्त्व दिया गया है. ‘ हिन्दी साहित्य कोश ’ के अनुसार “ नयी कविता आज की मानव-विशिष्टता में उद्भूत उस लघु-मानव के लघु परिवेश की अभिव्यक्ति है, जो एक ओर आज की समस्त रिक्तता और विषमता को तो भोग ही रहा है, साथ ही उन समस्त रिक्तताओं के बीच वह अपने व्यक्तित्व को भी सुरक्षित रखना चाहता है. ” (1) इस कथन के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि नयीकविता का कवि मानव-मूल्यों की अभिव्यक्ति अधिक प्रभाव-पूर्ण ढ़ंग से कर पाने में सफल इसलिए हुआ है कि उसने समाज को टूटते देखा है. डॉ. धर्मवीर भारती ने भी मानव-मूल्यों तथा सामाजिक मूल्यों में किसी प्रकार के विरोध का परिहार कर दिया है. उन्होंने मूल्य-बोध का आधार व्यक्ति मानते हुए कहा है मानवीय-मूल्य अन्ततोगत्वा मनुष्य के वैयक्तिक जीवन में ही पनपते हैं और उसका विकास व्यक्ति से समूह या समाज की ओर होता

महानगरीय संत्रास-बोध एवं पारिवारिक तनाव के चित्रण में सहायक : आधे-अधूरे

महानगरीय संत्रास-बोध एवं पारिवारिक तनाव के चित्रण में सहायक : आधे-अधूरे प्रो. एस.वी.एस.एस. नारायण राजू स्रवंति – द्विभाषा मासिक पत्रिका            फरवरी - 2006          आधे-अधूरे   नाटक में देश-काल एवं वातावरण का चित्रण पूर्णतः स्वाभाविक यथार्थपरक, सुंदर, वास्तविक और कलात्मक बन पडा है, इसका विचार करते समर हमें उसके वातावरण के रुप को देखना पडता है. वातावरण दो प्रकार का होता है और कुशल नाटककार को दोनों रुपों का समन्वित प्रस्तुतीकरण करना होता है, ये   दो रुप हैं---- 1. आंतरिक रुप और 2. बाह्य वातावरण. आधे-अधूरे नाटक में महानगर में जीनेवाले एक मध्यवर्गीय परिवार के तनाव और उसकी विघटनशीलता का चित्र प्रस्तुत किया गया है इसलिए वातावरण के उक्त दोनों रुपों को इस में कलात्मक रुप से चित्रित किया गया है. आंतरिक वातावरण में घटनाओं और अंतः परिस्थितियों का चित्रण किया जाता है तथा पात्रों की मानसिक स्थिति उनके हाव-भाव तथा अंतर्द्वन्द्व का चित्र प्रस्तुत किया जाना होता हैं. आधे-अधूरे नाटक में मोहन राकेश ने आंतरिक वातावरण की सृष्टि अनेक रुपों में की है. कहीं घटनाओं अथवा परिस्थितियों का चित