युगचेता निराला
युगचेता निराला प्रो. एस . वी . एस . एस . नारायण राजू पूर्णकंभ साहित्यिक मासिक पत्रिका फरवरी – 2000 निराला के जीवन को आद्यंत देखने पर इनका व्यक्तित्व अतिशय क्रांतिकारी सिद्ध होता है . साहित्य और समाज दोनों में इन्होंने क्रांति की है . रुढ़ियों के विरोध में खुलकर विद्रोह किया है . इनका सारा साहित्यिक तथा सामाजिक जीवन विद्रोह में भरा हुआ है . सामाजिक निराला भी निराले हैं . व्यर्थ के सामाजिक ढोंगों में इन्हें पूर्ण अश्रद्धा है . छुआछूत संबंधी आचार - विचार को ये अमानवीय मानते हैं . भोजन के विषय में मनुष्य की रुचि प्रधान है . इनका ऐसा विश्वास है . इसके लिए समाज को व्यवस्था देने का कोई अधिकार नहीं है . इसका अर्थ यह नहीं है कि वे उच्छृंखलता को प्रश्रय देते हैं . ये आदर्शवादी व्यक्ति हैं . इनका कहना है कि यद्यपि मनुष्य