पीली आंधी में नारी के विभिन्न पार्श्व







पीली आंधी में नारी के विभिन्न पार्श्व

                               प्रो.एस.वी.एस.एस.नारायण राजू


आलोचना दृष्टि,
Nov 2016 – Jan 2017
ISSN No. 2455-4219





            प्रभा खेतान ने अपने उपन्यासों में स्त्री के तमाम रुपों का चित्रण किया है। विवशता, पीड़ा, मानसिक दु:ख और असुरक्षित जीवन जीते हुए उनकी सभी स्त्रियाँ व्यवस्था के मोहरे बनकर कभी समझौते करती है तो कभी विद्रोह और कभी मानती बनकर सहज आत्मीय समर्पण से दूसरों को अपनों से ज्यादा स्नेह की छाया देकर एक नवीन संसार को साकार करती है। पीली आँधी उपन्यास में विवाहेतर प्रेम प्रसंगों का भी चित्रण किया गया है जिसमें दैहिक आकर्षण के साथ मित्रता एवं विवाह की इच्छा सम्मिलित है। लेकिन अनूठा त्रासद प्रेम प्रसंग बन जाता है त्रासद इस अर्थ से कि प्रेमी की हत्या करवा दी जाती है। प्रभा खेतान ने मानसिक रुप से स्त्री शोषण को बखूबी उकेरा है। शारीरिक शोषण करने पर उसकी मरहम पट्टी हो सकती है लेकिन भावानात्मक शोषण एक निजी संदर्भ है, जिसमें आत्महत्या का मार्ग भी अपनाया जाता है। प्रभा खेतान के उपन्यासों में शोषण के साथ-साथ स्त्री संघर्ष की अभिव्यक्ति हुई है। इन संघर्षों में नारी जीवन के भावात्मक संबंधों को ईमानदारी से जीने की जीजिविषा की तरह उत्पन्न संघर्ष का वर्णन किया गया है।

   यह सच है कि प्रभा खेतान के उपन्यासों में एक खास एलीट वर्ग की नारी गाथा है फिर भी उस उच्च वर्ग की स्त्रियाँ भी अपने अस्तित्व से बेखबर नहीं है। नारी जीवन के यथार्थ के कई चित्रण इस उपन्यास में चित्रित किया गया है।    विवाहेतर प्रेम संबंध प्राय: सभी उपन्यासों में दिखलाई पडते है लेकिन विवाहेतर संबंधों में प्रेम सारी विवेचन, मनन चिंतन के बाद लगता है। पति तो अपने पत्नी के अलावा किसी दूसरी स्त्री से प्रेम करते है और पत्नी अपने पति के अलावा दूसरे पुरुष से प्रेम करती है। इसी प्रकार करने से अपने पारिवारिक बंधन नष्ट होते हैं या टूट जाते हैं

    पीली आंधी का सोमा अपने पति गौतम के व्यवहार के कारण उस से नफरत करती है। गौतम समलौंगिकता की गलियों में भटक चुका था उसे पूजारी और ड्राइवर ही अच्छे लगते। इसका चित्रण लेखिका ने इस प्रकार किया है किसमस्या? यह मेरी अपनी समस्या है। जैसे पूजारी भैया के साथ जीने की तुम्हारी मजबूरी है....
 पति-पत्नी की बात में पूजारी भैया कहां से आ गए
 यानी तुमको अपना आचरण गलत नहीं लगता?”
  तुमने उस दिन पूजारी भैया पर झुलसे हुए देख लिया तभी ना!”
  देख लिया मानो?”
  नहीं देखती तो तुम नहीं समझ सकती थी, कभी नहीं। मेरे और पूजारी भैया  के बीच सब कुछ चलता रहता वैसे ही जैसा कि आज तक चलता आया है।(1)

     गौतम रात भर अपने मित्रों के साथ घूमते रहते थे। गौतम की इन बुरी प्रवृत्तियों के कारण सोमा को संतान सुख नहीं दे सका। दोनों हमेशा झगडा करते रहते हैं यथा -
            गौतम क्या हुआ?”
            क्यों तुम्हें पता नहीं?”
            सोमा सिर हिलाया
           तब? तुम क्या सुनना चाहती है? क्या मैं तुम्हारे और उस बंगली मास्टर का संबंध निनाद करुँ? अखबारों में निडसवाऊं?”
             गौतम.... मैं
             तुम कुतिया हो।
   सोमा सेन से प्यार करती है। क्योंकि उसे बच्चा चाहिए जो गौतम नहीं दे सकते। सोमा सेन से प्रेम करना गलत नहीं मानती है। सोमा पति इसी के बारे में पूछने पर उसका कबूल किया है।
        क्या यह एक गलती थी? क्षणों का उन्माद था। मैं हाँ और न में उत्तर चाहता हूँ।
          नहीं
             यानी
            मैं ने जानबूझ कर सब कुछ किया है
            तुम उस बंगाली प्रोफेसर से प्यार करती हो?”
            हाँ(2)

      अंत में सोमा सेन के साथ चली जाने की तैयारी करती है सोमा समझ रही थी कि, वह सुजीत के साथ काफी दूर चली गई है। उसके बिना जिंदगी जीना मुश्किल है। गौतम? उसके साथ बिताए गए क्षण में न कोई कोमलता मिली और न जीवन का एहसास। गौतम की अपनी भूख, जो कभी-कभी जगती थी और उस इच्छा की संतुष्टि के लिए सोमा का उपयोग करनेवाला। शायद इसी कारण से सोमा गौतम को भूलना चाहती थी। जिसको उसने केवल झेला था, सहन किया था, मगर जिसको कभी जीया नहीं था।

    यहाँ पारिवारिक बंधन टूट जाते हैं। इसमें नारी ही अधिक शोषित होती जाती है। नारी को पुरुष के समान स्वतंत्रता नहीं मिलती है। उनको स्वाभाविक तौर पर उसके मन में संतोष भी कम रहेगा। परिवार के बंधनों के कारण नारी के पास न तो कोई विकल्प रहता है, न चुनाव की क्षमता।
   पीली आँधी उपन्यास में सास-बहू की समस्या भी है। अनुशासन प्रिय ताई जी पढ़ी-लिखी बहु सोमा के नाश्ते में टोस्ट खाने की जिद पर कहती है कि-  चुपचाप जो बना है खा लो समझी वीणनी। यहाँ सब अलग-अलग कानून नहीं चलेगा और कल से ठीक आठ बजे नहा-धोकर पूजा करके नीचे डाईनिंग रुम में आ जाना।(3)

मजबूरन सोमा को सुवाली अचार और दूध का नाश्ता करना पड़ा लेकिन उसका विद्रोह करवा चौथ के दिन फूट पड़ा। सोमा ने ताईजी से पूछा इतने नियम आचरण के बावजूद आप कैसे विधवा हो गई और देखिए न निमली बाई को और फिर रेवा बाई को(4)

   क्या ताईजी अपनी इस बड़बोली बहू की बातें सुनकर एकदम चुप हो गई थी। सोमा उल्टे पैरों अपने कमरे में वापस लौट गई थी। सोमा चाय पी रही थी उसी समय ताईजी उसे समझाने की कोशिश की गयी है।
       छोटी बीणनी तुमने जवाब नहीं दिया।
       ताईजी मैं खाए बिना रह जाऊँगी, लेकिन चाय के बिना खाली पेट नहीं रह सकती।
       क्यों नहीं रह सकती? एक दिन चाय नहीं पीओगी तो क्या प्राण निकल जाएँगे,?”
       आप ऐसा ही समझिए।
       तुम्हारी इतनी हिम्मत(5)

       ताईजी का चेहरा गुस्से से लाल हो गई। फिर सोमा को अपनी गलती का एहसास हो गया उसके बाद में ताईजी से माफी माँगी करवा चौथ की पूजा कर रात को सोमा ताईजी के पैर लगने गई तो ताईजी ने उसे सुहागन बड़ी भाभी के पैर छूने की सलाह दी। सोमा ने सोचा यह औरत इतनी निर्मम हो सकती है कि अपनी बड़ी दोनों बहुओं को तो आशीर्वाद दे और मुझसे कहे कि तुम अपनी जिठानी के पैर लग लो।

      कुरुप व्यक्ति से प्रेम करना मुश्किल होता है, क्योंकि शारीरिक आकर्षण प्रेम को उद्दीप्त करता है। सौंदर्य वाले आदमी को लोग पसंद करते है। बेडौल व्यक्ति से प्रेम करना मुश्किल होता है, क्योंकि मोटाया दैहिक आकर्षण को कम कर देता है जिसके साथ चौबीस घंटे साथ हो वहाँ शारीरिक सौंदर्य की समस्या चलती रहती है। यथा--
    पीली आंधी की सोमा को पतली कमरवाला गौतम पसंद नहीं था। उसके अनुसार मैनली लुक्स नहीं थे।
      मम्मी, मैं ने आपसे कहा था कि लडका मैनाली नहीं लगता। आपने देखा मम्मी उसकी कमर कितनी पतली है? आपने कुछ सुना ही नहीं।
      मैडम, यह बात तो आपको मुझे बतानी चाहिए थी ना
      क्या बताती अरे लडका इक्कीस बरस का ही तो है। उमर के हिसाब से ज्यादा तो नहीं है। आपको अभी देखकर कोई कह सकता है कि अपने ब्याह के समय कितने दुबले थे? और अब?”(6)

     माता-पिता के जबरदस्ती विवाह करवाने पर सोमा का वैवाहिक जीवन सुखी न हो सका। शारीरिक सौंदर्य भी दांपत्य जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सोमा के मन में गौतम के प्रति घृणा का भाव है। गौतम के मुँह में खट्टी दुर्गंध थी। गौतम अपने को पुरुष प्रमाणित करने की चेष्टा में लवलीन था। वह पूजारी भैया एवं ड्राइवर की कुसंगति में यौन जीवन की अप्राकृत्तिक गलियों में भटक रहा था। सोमा गौतम को छोडकर चली जाने का कारण भी यही है।

      अनपढ़ व कम पढ़ी-लिखी स्त्रियाँ जो पति की मार खाकर सिर झुकाकर पति के अन्यत्र संबंधों को नजर अंदाज कर पाती है। पीली आँधी उपन्यास की चित्रा पति की गर्भवती प्रेमिका के साथ झगडा करती है। सोमा अचानक घर आने पर सेन चौंक गए थे। लेकिन चित्रा ने उसको सादर आमंत्रित किया। सोमा की नजर में आँसु देखकर चित्रा ने कहा
    रोओ मत सोमा! यह तुम्हारा घर है, सोमा कुछ कहने से पहले चित्रा ने कहा।
  सोमा, कुछ कहने की जरुरत नहीं पिछले रविवार को मुझे सुजीत ने बता दिया था, लेकिन फिर भी सब कुछ नहीं बताया यह नहीं कहा था कि तुम उनकी संतान की मां बनने वाली हो। कैसी अजीब बात है कि उन्होंने मुझे इतना कमजोर समझा सच का सामना करना कोई इतना कठिन काम तो नहीं।(7)

      दूसरे औरत के पेट में अपने पति की बच्चा होते हुए भी चित्रा रोती नहीं। यहाँ सेन ने गलती किया है अपनी पत्नी को धोखा दिया है। लेकिन चित्रा सेन को नफरत नहीं करती है। शांत पूर्व व्यवहार अपनी पति की प्रेमिका या सोमा के साथ किया है। सोमा ने यह देकखर चित्रा से पूछा कि           और सब कुछ जानकर भी तुम इतनी शाँत है?”
           आज हूँ ना। उस दिन तो तूफान मेरे घर में भी उठा था। लेकिन जब प्यार नहीं, तब इस व्यवस्था को ढोने से फायदा? क्या इससे अच्छा नहीं कि मैं ही हट जाऊँ?”
           लेकिन तुम्हारा यह घर.....?”
            घर क्या चार दीवारों से बनता है?”
             सोमा तुम दोनों को एक दूसरे की जरुरत है। तुम लोगों एक-दूसरे से प्यार करते हो।(8)

   सोमा को अपनी गलती से पश्चाताप है लेकिन उससे ज्यादा मातृत्व की चाह भी। इसलिए उन्होंने अपने पति को छोडकर सेन के साथ जीना शुरु करती है। सेन ने अपनी पत्नी और बच्चे को भी दूसरे औरत के लिए निर्ममता से  छोड दिया. सुजीत को छोडने में चित्रा के मन में दुख है। क्योंकि सेन उसके पति और बच्ची का पिता है। लेकिन चित्रा सच्चा प्रेम पर विश्वास करती है।

      प्रभा खेतान के अनुसार स्वतंत्रता का अर्थ कर्त्तव्य और दायित्वबोध भी है। स्त्री अगर अपनी स्वतंत्रता चाहती है, तो उसे अपने कर्त्तव्य और दायित्व बोध का भी उतना ही ज्ञान होना चाहिए। स्त्री स्वतंत्रता की आदर्श स्थिति क्या है? आज तक स्त्री ने अपनी जितनी भी स्वतंत्रता हासिल की है, वह संघर्ष करके ही हासिल की है। प्रभा खेतान के स्त्री पात्र सोमा अपनी प्रतिभा और संकल्प शक्ति से एक नई शक्ति और चुनौती के रुप में उभरती है। सोमा मातृत्व की चाहत में विवाहित पुरुष के साथ बिना विवाह कर अपना घर बसाती है। लेखिका ने इसका संकेत मात्र दिया है, स्पष्ट कुछ घोषित नहीं किया। अस्तित्ववादी लेखन के कारण प्रभा खेतान के नारी पात्र स्त्री स्वातंत्र्य की दिशा पर चल पड़ते हैं लेकिन प्रेम एवं स्वतंत्र्य की द्वंद्व चलता रहता है। पीली आंधी उपन्साय की नायिका सोमा आधुनिक नारी का प्रतीक है। पैसा कमाना, परिवार चलाना, संतानोत्पत्ति के साथ संतान का पालन-पोषण यदि सभी कुछ स्त्री को करना है तो जीवन में पति की भूमिका नहीं के बराबर होती जाएगी।

संदर्भ  

1.     पीली   आंधी प्रभा खेतान पृ. सं. 244     
2.     पीली   आंधी प्रभा खेतान पृ. सं. 246          
3.     पीली   आंधी प्रभा खेतान पृ. सं. 175          
4.     पीली   आंधी प्रभा खेतान पृ. सं. 183          
5.     पीली   आंधी प्रभा खेतान पृ. सं. 183          
6.     पीली   आंधी प्रभा खेतान पृ. सं. 164         
7.     पीली   आंधी प्रभा खेतान पृ. सं. 255         
8.     पीली   आंधी प्रभा खेतान पृ. सं. 255

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