रिफार्म्स
रिफार्म्स
प्रो. एस.वी.एस.एस. नारायण राजू
डेली हिंदी मिलाप,
24-12-2000
आज फैशन हो गया राजनीति में,
विपक्ष में रहने पर कहते हैं नीति सूत्र,
पक्ष में आते ही बोलते हैं अलग।
राज्य या केंद्र में बात-ही-बात,
वादा-ही-वादा सिर्फ ‘रिफार्म्स’ पर
सुबह से ही जपते हैं, ’प्राइवेटाइजेशन’ की बात।
लागू कर रहे हैं हर जगह प्राइवेटीकरण।
अंत में न छोड़ रहे हैं उच्च शिक्षा को भी,
दूर कर रहे हैं विद्यार्थियों को शिक्षा से,
बात तो करते हैं हमेशा ‘साक्षरता’ की
वास्तव में अमल करना है सभी ‘रिफार्म्स’ पर,
आजकल की भारतीय राजनीति में ही।
इस देश में चपरासी बनना चाहे तो भी,
है कम-से-कम एक क्वालीफिकेशन,
लेकिन नहीं है राजनीति में भाग लेने को।
अब समय आ गया
लागू करने हैं सभी ‘रिफार्म्स’
पहले-पहल राजनीति में
रद्द करना है
व्यक्ति, जाति, धर्म नामी पार्टियों को
अमल में लाना है ‘रीकॉल’
पद्धति।
बंद करने हैं जाति, धर्म के नारे।
रखना है ओपेन डिबेट,
पंचायत से लेकर प्रधानमंत्री तक।
होगा तभी
भारत देश का ’कल्याण’।