हे बापू क्या यही हैं आपके सपने ?





हे बापू क्या यही हैं आपके सपने ?

प्रो. एस.वी.एस.एस. नारायण राजू

दक्षिण समाचार, 13 माई,1998


 बापू ने कहा,
निडर चलना है नारियों को,
आधी रात में भी,
तब होंगे हम पूर्ण स्वतंत्र।
मगर
आज आधी रात नहीं,
दिन में भी नहीं चल सकतीं।
 सभ्य समाज के सामने,
वस्त्रापहरण करके,
 आधुनिक महाभारत मचाया।
लेकिन
मना रहे हैं एक पर्व जैसे,
स्वतंत्र भारत की स्वर्ण-जयंती,
टी.वी. चैनल्स में,
राजनीतिक सभाओं में,
पापॉ गायकों की आवाज में।
जनता के लिए कहाँ स्वतंत्र?
आँखों के सामने धोखा,
न पूछ सकता है,
न कुछ कर सकता है।
बापू ने कहा
 शराब को छोड़ो।
आज शराबी,
सड़कों के बीच
 करते हैं असभ्य व्यवहार।
पूछने से जवाब देते हैं
यह गलती सरकार की।
क्यों कि
सरकार ही बेच रही है।
सबको दे रही है,
ओपेन लाइसेन्स
बिक्री बढ़ाने हेतु,
बनाते हैं विभिन्न आयोजन।
दो खरीदने से
दो मुफ्त।
परंतु
नेतागण
बार-बार दुहराते हैं
गाँधी जी के सपनों को
हम दे रहे हैं साकार-रुप
हे बापू
क्या यही हैं आपके सपने

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