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Showing posts from July, 2025

Sri Ram Charit Manas, Bal kand 266 |तब सिय देखि भूप अभिलाषे। कूर कपूत मू...

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Kamayani, Sraddha Sarg 27, UGC NET HINDI | घूमने का मेरा अभ्यास बढ़ा था ...

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Sri Ram Charit Manas, Bal kand 265 | पुर अरु ब्योम बाजने बाजे। खल भए मलि...

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Kamayani, Sraddha Sarg 26, UGC NET HINDI | भरा था मन में नव उत्साह, सीख ...

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Sri Ram Charit Manas, Bal kand 264 | सखिन्ह मध्य सिय सोहति कैसें। छबिगन ...

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Kamayani, Sraddha Sarg 25, UGC NET HINDI | लगा कहने आगन्तुक व्यक्ति मिटा...

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Sri Ram Charit Manas, Bal kand 263 | झाँझि मृदंग संख सहनाई।भेरि ढोल दुंद...

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Kamayani, Sraddha Sarg 24, UGC NET HINDI | नखत की आशा-किरण समान, हृदय के...

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Sri Ram Charit Manas, Bal kand 262 | प्रभु दोउ चापखंड महि डारे। देखि लोग...

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Kamayani, Sraddha Sarg 21, UGC NET HINDI | क्या कहूँ, क्या हूँ मैं उदभ्र...

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Sri Ram Charit Manas, Bal kand 261 | देखी बिपुल बिकल बैदेही। निमिष बिहात...

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Kamayani, Sraddha Sarg 20, UGC NET HINDI | भूलता ही जाता दिन-रात सजल-अभि...

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Sri Ram Charit Manas, Bal kand 40 | रामभगति सुरसरितहि जाई। मिली सुकीरति ...

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Kamayani, Sraddha Sarg 19, UGC NET HINDI | पहेली-सा जीवन है व्यस्त, उसे ...

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Sri Ram Charit Manas, Bal kand 39 | जौं करि कष्ट जाइ पुनि कोई। जातहिं नी...

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Kamayani, Sraddha Sarg 18, UGC NET HINDI | शैल - निर्झर न बना हतभाग्य, ग...

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एक जीवन दर्शन और व्यक्तित्व विकास की संहिता : रामचरितमानस

  एक जीवन दर्शन और व्यक्तित्व विकास की संहिता : रामचरितमानस             आचार्य. एस.वी.एस.एस. नारायण राजू International Journal of Hindi Research www.hindijournal.com ISSN: 2455-2232 Received: 27-05-2025, Accepted: 26-06-2025, Published: 12-07-2025 Volume 11, Issue 3, 2025, Page No. 11-13 Abstract ( सारांश) :   “एक जीवनदर्शन और व्यक्तित्व विकास की संहिता : रामचरितमानस” आलेख में यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि श्रीरामचरितमानस मात्र एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है , बल्कि वह भारतीय जीवन-दर्शन , मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तित्व निर्माण का समग्र शास्त्र भी है. आज के तनावग्रस्त और भागदौड़ भरे जीवन में जब व्यक्ति मानसिक दबाव से ग्रस्त रहता है , तब यह ग्रंथ व्यवहारिक दृष्टिकोण , नैतिक अनुशासन और आंतरिक संतुलन का मार्ग प्रशस्त करता है. इस आलेख में विशेष रूप से सुंदरकांड के माध्यम से श्रीहनुमान जी के चरित्र का विश्लेषण करते हुए यह प्रतिपादित किया गया है कि अपने कार्य के प्रति समर्पण , परिस्थिति के अनुसार प्रतिक्रिया द...

Sri Ram Charit Manas, Bal kand 38 | जे गावहिं यह चरित सँभारे। तेइ एहि ता...

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Kamayani, Sraddha Sarg 17, UGC NET HINDI | कहा मनु ने 'नभ -धरणी बीच बना ...

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श्रीलाल शुक्ल: सादगी, मौलिकता और व्यंग्य का प्रतीक

  श्रीलाल शुक्ल: सादगी , मौलिकता और व्यंग्य का प्रतीक आचार्य. एस.वी.एस.एस.नारायण राजू. स्रवंति, मासिक पत्रिका, जून- 2025, ISSN No.2582-0885. हिंदी साहित्य में व्यंग्य लेखन की परंपरा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाले श्रीलाल शुक्ल एक अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे. उनका लेखन केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं था , बल्कि सामाजिक विडंबनाओं और राजनीतिक विसंगतियों को भी बड़े ही तीखे और सटीक ढंग से उजागर करता था. उनकी भाषा शैली , कथ्य की प्रवाहमयता और गहरी अंतर्दृष्टि ने उन्हें समकालीन हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया. श्रीलाल शुक्ल का जन्म 31 दिसंबर 1925 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले के अंतरौली गाँव में हुआ था. उनका परिवार एक साधारण किसान परिवार था , लेकिन शिक्षा और संस्कारों की गहरी जड़ें थीं. उनके दादा , पंडित गदाधर प्रसाद शुक्ल , कई भाषाओं के जानकार थे. वे संस्कृत , हिंदी , उर्दू और फारसी में पारंगत थे और संगीत प्रेमी भी थे. लेकिन अफसोस की बात है कि श्रीलाल शुक्ल के जन्म से पहले ही उनका निधन हो गया. उनके पिता , पंडित ब्रज किशोर शुक्ल , हिंदी और संस्कृत साहित...