आधुनिक चाणक्य श्री पी.वी. नरसिंहाराव (संपादकीय)
आधुनिक चाणक्य श्री पी.वी. नरसिंहाराव
(संपादकीय)
प्रो. एस.वी.एस.एस.नारायण राजू
स्रवंति,
द्विभाषा मासिक
पत्रिका.
जनवरी 2005.
महान
विद्वान तथा बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री पामुलपर्ति वेंकट नरसिंहाराव जी का
जन्म आंध्रप्रदेश राज्य के वरंगल जिले के नरसंपेट मंडल स्थित लक्केनपल्ली में 28
जून, 1921 को हुआ था. उनके पिता का नाम सीतारामा राव और उनकी माता का नाम
रुक्माबायम्मा था. वंगर
गाँव के पामुलपर्ति रंगाराव ने श्री पी.वी. नरसिंहाराव को गोद लिया था. पी.वी.
नरसिंहाराव ने एल.एल.बी.की परीक्षाओं में स्वर्णपदक प्रात्प किया. श्री राव ने
वर्ष 1939 में अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की. विभित्र पदों को श्री राव ने
ग्रहण किया कहने के बजाय सारे पद श्री राव को ग्रहण कर अपने आप में गौरवान्वित हो
गए कहना समुचित है.
श्री राव एक राजनीतिज्ञ ही नहीं साहित्यिक मर्मज्ञ भी थे. विशेषकर
राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार प्रसार के लिए प्रतिबद्ध एक हिंदी सेवक थे. ज्ञानपीट
पुरस्कार ग्रहीता एवं विख्यात कवि, लेखक, कवि सम्राट विश्वनाथ सत्यनारायण द्वारा
लिखित उपन्यास “वेयिपडगलु” का हिंदी
अनुवाद ‘सहस्त्रफण’ के नाम से
किया है. ‘इन्साइडर’ के नाम से
राव ने अपनी आत्म कथा को उपन्यास के रुप में लिखा. पी.वी. ने तेलुगु भाषा में ‘मंगय्य
अदृष्टम’
शीर्षक उपन्यास लिखा.
पी.वी. नरसिंहाराव दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास के अध्यक्ष के रुप
में काम किये थे. उनके अध्यक्षीय काल में सभा का सर्वांगीण विकास हुआ.
वर्ष 1991, 21 मई को राजीव गाँधी की हत्या के बाद अत्यंत कठिन परिस्थितियों
में कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में पद भार ग्रहण किया तथा प्रधानमंत्री बनकर पाँच
वर्षों तक सरकार को सफलतापूर्वक चलाने के साथ-साथ उदारीकरण नीति को अपनाकर भारत
देश को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया है. आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप
में काम करते समय श्री राव ने आंध्र में भूमिसुधार के साथ-साथ जनकल्याण की तमाम
योजनाएँ चलाई.
श्री पी.वी. नरसिंहाराव का निधन सिर्फ आंध्रप्रदेश राज्य व भारत तक ही नहीं
संपूर्ण विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है. एक बहुभाषी विद्वान, निष्टावान
स्वतंत्रता सेनानी तथा जननेता को स्त्रवंति परिवार तथा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार
सभा की ओर से अत्यंत विनम्रतापूर्वक श्रध्दांजलि समर्पित कर रहे हैं.