आधुनिक हिंदी नाटक का मसीहा मोहन राकेश







आधुनिक हिंदी नाटक का मसीहा मोहन राकेश

Dr. S V S S Narayana Raju

संपादकीय

स्रवंति,

द्विभाषा मासिक पत्रिका,

दिसंबर – 2004.



हिंदी साहित्य के प्रतिभावान रचनाकार मोहन राकेश ने अनेक विधाओं में साहित्य का सृजन किया है। मोहन राकेश ने नाटक, उपन्यास, कहानी, आलोचना, एकांकी, बीज नाटक, पार्श्व नाटक और अन्य साहित्यिक विधाओं पर अपने सर्जक व्यक्तित्व की छाप छोड़ दी। मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी सन् 1925 को पंजाब राज्य के अमृतसर में हुआ था। 16 वर्ष की उम्र में ही पिताजी का निधन होने के कारण परिवार का पालन पोषण करने की जिम्मेदारी मोहन राकेश के कंधों पर पड़ गई मोहन राकेश की सृजनात्मक वृत्तियों ने उन्हें स्वतंत्र रूप से जीने को बाध्य किया। यातना और तनाव के सूक्ष्म सूत्रों की पकड़ने और सुलझाने की ललक ने मोहन राकेश को किसी भी नौकरी में ज्यादा देर तक टिक कर जीने नहीं दिया। घुमक्कडी मोहन राकेश के स्वभाव का एक विशिष्ट अंग है। मोहन राकेश के चारों ओर से ऐसे लोग भी थे कि " राकेश अच्छा लेखक और बुरा आदमी" प्रचार करते रहें।

मोहन राकेश ने हिंदी नाटक को सही तरह से पहली बार रंगमंच, अभिनेता, निर्देशक और प्रेक्षक से जोड़ने का नूतन प्रयास किया। मोहन राकेश हिंदी के एक विशिष्ट नाटककार हैं। जिनके सभी नाटक विभिन्न नाट्य संस्थाओं के द्वारा सफलता के साथ प्रस्तुत किये गये हैं। उन्होंने जीवंत रंगमंच को नाटकीय क्रिया कलाप का आवश्यक अंग माना है। सृजनात्मक स्तर पर परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करनेवाले हिंदी नाटककारों में मोहन राकेश का नाम बहु चर्चित है। मोहन राकेश प्रसादोत्तर युगीन नाटक साहित्य के एक ज्वाञ्ज्वल्यमान नक्षत्र हैं। नाटक के क के अनुरूप रंगमंच की तलाश करने और नाट्य-भाषा का पुनराविष्कार करने के प्रयास के कारण मोहन राकेश एक निरंतर प्रयोगशील नाटककार के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं और उनका यही प्रयोगधर्मी रूझान हिंदी नाटक को उनके मुख्य प्रदेय को भी सूचित करता है।

मोहन राकेश 'नेहरु फेलोशिप' के अंतरर्गत 'नाटक में सही शब्द की खोज' पर शोध कार्य करते समय अचानक 3 दिसंबर, 1972 को हृदय गति रुक जाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

मोहन राकेश की मुख्य रचनाएँ इस प्रकार हैं

(1) आषाढ़ का एक दिन।

(2) लहरों के राजहंस

(3) आधे अधूरे ।

(4) पैर तले की जमीन (अधूरी रचना)

(5) अण्डे के छिलके अन्य एकांकी तथा बीज नाटक।

(6) रात बीतने तक तथा अन्य ध्वनि नाटक।

उपन्यास, कहानी, निबंध, समीक्षात्मक रचनाएँ यात्रा संस्मरण आदि।

डॉ. नारायण राजू

सहायक संपादक

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